Mau: वाहन चेकिंग के आड़ में यातायात पुलिस कर्मी धडल्ले से कर रहे अवैध वसूली।

हाईकोर्ट के आदेशानुसार किसी भी अधिकारी,सांसद विधायक, मंत्री, नेता या पुलिसकर्मी के गाड़ी पर पदनाम लिखा हुआ नही होना चाहिए

लेकिन ऐसे वीआईपी अधिकारियों ,नेताओ व पुलिस विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों की गाड़ियों पर पदनाम लिखने पर कभी नही किया जाता चालान

अधिकारियों की अधिकतम वाहनों का परमिट,इंश्योरेंस,फिटनेस एव प्रदूषण फेल रहता है लेकिन इनके वाहनों का आखिरकार क्यों कभी जांच नही होती है

फास्ट इंडिया न्यूज ब्यूरो

मऊ। लोकसभा चुनाव समाप्त होते ही एक तरफ यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ लगातार समीक्षा कर आदेश और निर्देश सभी विभागो को जारी कर रहे हैं।

इसी क्रम में मुख्यमंत्री ने जिला प्रशासन व परिवहन विभाग को निर्देश दिया है कि सभी गाड़ियों की चेकिंग की जाए और अधिकारी कर्मचारी व प्रतिनिधि वीआईपी प्रोटोकॉल में रहना तत्काल बंद कर दें। जिसकी जांच पुलिस विभाग सहित ट्रैफिक पुलिस को दिया है । आपको बता दें कि इन दिनों मऊ जनपद में ट्रैफिक पुलिस गाड़ियों की जांच के आड़ में लाखों की धनउगाई करना शुरू कर दिया है।

जी हां आपने सही सुना मऊ नगर क्षेत्र की केवल बात करें तो गाजीपुर तिराहा, फातिमा चौराहा,पुरानी तहसील व ब्रह्मस्थान के बीच तथा मिर्जाहादीपुरा चौक में ट्रैफिक पुलिस वाले गाड़ियों को पहले तो हाथ देकर रोकते हैं। इसके बाद उनके गाड़ियों का फोटो खींचकर फिर आनलाइन गाड़ी की डिटेल चेक करते है। और फिर कुछ ना कुछ कमी बताकर अवैध धनउगाई की डिमांड करते हैं जो लोग डिमांड पूरी करने को तैयार हो जाते है उनका चालान तो नही होता है।लेकिन जो डिमांड पूरी नहीं करते हैं उनका फोटो खींचकर रख लेते हैं कुछ देर बाद उनका ऑनलाइन चालान जारी कर देते हैं।

गाड़ी संचालक को न तो कोई ट्रैफिक के नियमों के बारे में जानकारी देते हैं और न उनसे कुछ कहते हैं। जो गाड़ी संचालक वाले पैसे नहीं देते हैं उनका चालान हजारों में काट दिया जाता है और जो पैसे इन्हें दे देते हैं उन्हें ग्रीन पास दे दिया जाता है। लेकिन आपको जानकर हैरानी होगी कि जो यह पुलिस वाले पैसे लेने का तरीका अपनाते हैं वह बड़ा शातिर तरीके से अपनाते हैं । जी हां आपने सही सुना गाजीपुर तिराहे पर पान की दुकान वालों से सेटिंग होती है , ब्रह्म स्थान बस स्टैंड पर पान की दुकान वालों से सेटिंग रहती है तो वहीं पुरानी तहसील व आजमगढ़ मोड पर भी पान की दुकान वालों से सेटिंग होती है । जिन गाड़ी वालों से संचालकों से पैसा वसूलना होता है उसकी एक पर्ची पान के दुकानों पर दे दी जाती है और वहां पर्ची में जितना पैसा लेना होता है उसका एक कोड डाल दिया जाता है। फिर गाड़ी संचालक जब इनकी मांग पान की दुकान पर जाकर पूरी कर देता है तो गाड़ी का चालान बिना किए छोड़ दिया जाता है।

अब आपको जानकर इतना हैरानी होगा कि मऊ पुलिस किस तरह से अभी इस समय अवैध धन उगाही कर रही है। क्योंकि पूर्व पुलिस अधीक्षक अविनाश पांडे ने शहर के सभी चौराहों पर कैमरे लगवा दिए है जिससे पुलिस अब सामने से वसूली करने में थोड़ा डरती है। लेकिन पैसे वसूलने के तरीके भी पुलिस ने खोज लिए है।अब आपको जानना होगा और पहचाना होगा कि कौन से ऐसे पुलिस वाले हैं जो इन हथकंडों को अपनाते हैं और आपकी जेब ढीली कराते हैं।

जी हां इन मामलों को किस तरह से रोका जाए। इस पर पुलिस अधीक्षक इलामारन और जिला प्रशासन ही जाने कि कैसे अंकुश लगायेगे। वही दो दिन पहले जिलाधिकारी प्रवीण मिश्रा ने यातायात के अधिकारियों के साथ बैठक कर यह निर्देश दिया था कि जिन गाड़ियों के परमिट फेल हैं और जिन स्कूल वाहन चालकों व हैवी वाहनों के ड्राइविंग लाइसेंस फेल है। उनको अपने कागजात सही करने के निर्देश दिए जाएं। लेकिन यहां यातायात चेकिंग में लगे पुलिसकर्मी न तो किसी को यातायात नियमों की जानकारी देते है और नही कोई सुझाव देते है। वाहन चेकिंग अभियान को बस धनऊगाही का जरिया बना लिया है।


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