बढ़ते तापमान के पीछे आखिर क्या है वजह? यह रिपोर्ट अवश्य पढ़ें
यदि समय रहते हम नही हुए सजग तो पेट्रोल से भी महंगा होगा पानी
आने वाले समय मे बढ़ते तापमान से होगा स्किन कैंसर
विवेक सिंह,फ़ास्ट इंडिया न्यूज ब्यूरो
उत्तर प्रदेश सहित भारत के कई राज्यो में इन दिनों बढ़ते तापमान से लोगो का जीना दूभर हो गया है।क्या हम कभी इस बारे में सोचते है कि आखिर इस बढ़ रहे तापमान के जिम्मेदार भी कही न कही हम सभी है।
जिस प्रकार हर बीमारी के पीछे कोई न कोई कारण होता है। अर्थात जब सिर में दर्द होता है तो केवल दर्द की दवा खाने से आराम नही मिलता है, जब तक की दर्द किस कारण से हो रहा है इसका पता न चल जाय और उस रोग के इलाज की सही दवा नही खाया जाय।
ठीक उसी प्रकार यह पर्यावरण भी हमारे जीवन का बहुमूल्य अंग है, अर्थात जैसा पर्यावरण होता है ,वैसा ही हमारा जीवन शैली भी होती है।यदि समय रहते हम इस बढ़ते प्रदूषण से बचाव के लिये स्वयं कोई कदम नही उठाएंगे ।तो आने वाले 50 वर्षों में ही हमे पानी- पेट्रोल से भी महंगे दामो में खरीद कर पीना पड़ेगा। और एक समय ऐसा आ जायेगा कि पानी के लिए भी लोग आपस मे झगड़ा करेगे।
अर्थात जिस प्रकार इस समय तापमान बढ़ रहा है और भू-जल स्तर तेजी से घट रहा है। इसका जिम्मेदार कही न कही हम सभी है। क्योकि जो पेड़ हमारे पर्यावरण की सुरक्षा करता है, उसे आये दिन हम काटते जा रहे है। लेकिन एक भी पौधा एक वर्ष में नही लगाते है।
क्या आप सभी जानते है जो इन दिनों अपने आराम के लिए तेजी से AC, फ्रिज व रेफ्रिजरेटर का प्रयोग बढ़ता जा रहा है। क्या आपने कभी सोचा है कि इसके कारण कितना दुष्प्रभाव हमारे पर्यावरण पर पड़ता है। इन एयर कंडीशन और फ्रिज से जो क्लोरो -फ्लोरो कार्बन गैस निकलती है उससे हमारा ओजोन परत आये दिन क्षय होता जा रहा है। जिससे अब ओजोन परत में बड़े-बड़े छिद्र होते जा रहे है। जिससे सूर्य की किरणें अब डायरेक्ट पृथ्वी पर उन छिद्रों से होकर आने लगी। अर्थात यह ओजोन परत भी आक्सीजन गैस से ही मिलकर बना हुआ है। अर्थात जो पेड़ पौधे हमे आक्सीजन देते है । उसी ऑक्सीजन से ओजोन परत का निर्माण भी होता है और यह हमे सुरक्षित रखता है। अर्थात जैसे जैसे पेड़ो की कमी होती जायेगी वैसे वैसे आक्सीजन की भी कमी होती जाएगी । और इसका दुष्प्रभाव यह होगा कि सूर्य की किरणों के साथ जो अल्ट्रावायलेट किरणे निकलती जिसको रोकने का काम यह ओजोन परत ही करता है। इन पेड़ पौधों की भविष्य में जैसे जैसे कमी होगी वैसे वैसे आने वाले समय मे ओजोन परत में यह छिद्र और बड़ा होता जायेगा और इसका दुष्प्रभाव यह होगा कि आने वाले दिनों में पृथ्वी का तापमान इतना बढ़ जायेगा कि लोगो को धूप में निकलने पर स्कीन कैंसर भी होना शुरू हो जाएगा।
क्योकि जब आये दिन हम पेड़ पौधों को काट रहे है और पेड़ पौधे लगा नही रहे है। तो वायुमंडल में आक्सीजन की कमी तो होती ही जा रही है। वही इन पेड़ पौधों की कमी होने के कारण तमाम तरह के प्रदूषण भी बढ़ते जा रहे है । इसलिए पेड़ -पौधो को लगाने के लिए केवल सरकार व अधिकारियों पर ठीकरा फोड़ने के बजाय हम सभी स्वयं जागरूक हो कि हमारे घर मे जितने सदस्य है, कम से कम हर वर्ष उतने पौधे अवश्य लगाये
इस बढ़ते प्रदूषण व पर्यावरण को दूषित होने से बचाने के लिए सरकार हर वर्ष अरबो रुपये पेड़ पौधो को लगाने में खर्च तो अवश्य करती है। लेकिन सरकार की यह योजना अक्सर ही भ्रस्टाचार की भेंट चढ़ जाती है। अर्थात एक छोटा सा उदाहरण एक ग्राम पंचायत स्तर का ले लिजिये तो हर ग्राम पंचायतों को पेड़ पौधों को लगाने के लिए हर वर्ष लाखो रुपये ग्राम पंचायत स्तर से खर्च किया जाता है। लेकिन इन रुपयों से किस किस जगह और कौन कौन से पौधे अभी तक लगाए गये है। इसका कोई अता पता नही चलता है।अधिकतम पौधे कागज में ही लगाये गये है।
वही जो कुछ पौधे वास्तविक रूप में लगते भी वह ऐसे पौधे लगाये जाते है जो कुछ ही दिनों में देखभाल सही ढंग से नही होने के कारण सुख जाते है।
आखिर जब इन पौधों को लगाने के लिए सरकार करोड़ों रुपये एक जिले पर खर्च करती है। तो इन पौधों को सही ढंग से वृक्षारोपण कराने व इसकी देखभाल कराने की जवाबदेही क्यो नही अधिकारियों व कर्मचारियों की तय की जाती है? ताकि कागजो तक ही पौधे सीमित नही रहे बल्कि हकीकत में पौधे हरा भरा दिखाई दे ।
क्या सरकार ऐसी कोई योजना नही बना सकती है, जिस तरह किसानों को 6 हजार रुपये वार्षिक सहायता धनराशि दी जा रही उसी तरह हर वर्ष इन्ही किसानों को पौधे लगाने के लिए भी कुछ सहायता धनराशि दी जाय और वह धनराशि भी प्रति पौधे लगाने पर फिक्स रहे कि जो किसान जितना पौधा लगायेगा उसको उतना ही धनराशि मिलेगी। और इसमें ऐसे पौधे अवश्य लगाये जाय जिस पौधे की आयु लम्बी हो।
क्योकि पेड़ पौधों को लगाने के लिए जगह की आवश्यकता होती है। और किसान अपने अपने जमीन व खेत के किनारे आसानी से पेड़ पौधे लगा सकते है। इससे किसानों के खेतो की उर्वरा शक्ति भी बनी रहेगी और पर्यावरण भी प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है।
भारत सरकार और प्रदेश सरकार द्वारा वर्षा के समय पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाने के लिए पेड़ पौधों को लगाने में जो सरकारी धन खर्च करती रही है। वही धनराशि किसानों से व आम जनता से डायरेक्ट लगवाने में खर्च किया जाय तो अवश्य प्रदेश के सभी जिले के सभी गाव हरा भरा भी दिखाई देगा और सरकार द्वारा जो धन खर्च किया जाता है । वह धनराशि सही और सार्थक सिद्ध हो सकती है।
अब देखना यह होगा कि अन्य वर्षो की भांति इस वर्ष भी केंद्र सरकार और प्रदेश की योगी सरकार वर्षा के समय में जो पेड़ पौधों को लगाने के लिए ग्राम पंचायत स्तर से लेकर जिला स्तर पर जो धनराशि भेजेगी उस धनराशि का प्रयोग सच मे पौधों को लगाने में प्रयोग किया जायेगा और देख भाल किया जायेगा, या हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी यह सरकारी अमले को भेंट ही चढ़ जायेगी।
अब देखना यह होगा कि इस वर्ष जो पेड़-पौधे लगाये जायेंगे उसको हरा-भरा रखने के लिए सरकार इन पौधों को लगवाने के लिए जिम्मेदार अधिकारियों व कर्मचारियों की जिम्मेदारी भी तय करेगी, या पौधे लगावाने के बाद अधिकारी भी पौधे लगाने की अपनी जिम्मेदारी पूरा कर इसे हरा भरा रखने को भूल जायेगे ।
वही बताया जा रहा है कि इस वर्ष योगी सरकार पौधों को लगाने के लिये आम जनता से डायरेक्ट पौधों को लगाने के प्रोत्साहित करने की योजना बनायी है। ताकि जब कोई ब्यक्ति पौधों को लगाये तो उसकी देख भाल भी जनता स्वयं करे जिससे पौधा सूखे नही बल्कि हरा भरा हो जाय। और आने वाले समय मे इसका उपयोग भी आम जनता कर सके।