रामेश्वरम में कलाम को अंतिम विदाई

रामेश्वरम। पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को गुरुवार को उनके गृहनगर रामेश्वरम में पूर्ण राजकीय सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी गई।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी डॉ कलाम को श्रद्धांजलि देने उनके अंतिम संस्कार में पहुंचे। उनके अलावा कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी, रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर और संसदीय कार्यमंत्री एम वेंकैया नायडू, शाहनवाज हुसैन, कांग्रेस के नेता गुलाम नबी आजाद समेत कई नेता शामिल हुए।

तबीयत खऱाब होने की वजह से तमिलनाडु की सीएम जयललिता शामिल नहीं हो पाईं। जयललिता की जगह उनकी ओर से इस दौरान सात मंत्री मौजूद थे।

तमिलनाडु में उनके गृहनगर रामेश्वरम से गुरुवार सुबह डॉ. कलाम का पार्थिव शरीर ले जाया गया। यहां सड़कों पर उनके अंतिम दर्शन के लिए हजारों लोगों का सैलाब उमड़ पड़ा।

अपने नायक की आखिरी झलक पाने के लिए बड़ी संख्या में लोग कलाम के घर के आसपास की खचाखच भरी सड़कों पर इंतजार कर रहे थे। बड़ी तादाद में लोग हाथों में तिरंगा थामे खड़े थे। बहुत से लोग इस ऐतिहासिक लम्हे का गवाह बनने के लिए इमारतों की छतों पर भी चढ़ गए थे। फूलों से सजी गाड़ी में जब कलाम के पार्थिव शरीर को अंतिम संस्कार वाले स्थान पर ले जाया जा रहा था, तब फिजाओं में 'भारत माता की जय' का उद्घोष हो रहा था।

लगभग साढ़े तीन किलोमीटर की दूरी पर स्थित मस्जिद तक के इस सफर में कलाम के पार्थिव शरीर के साथ तीनों सेनाओं के जवान चल रहे थे। कलाम के पार्थिव शरीर के साथ इस अवसर पर उनके परिवार के सदस्य मौजूद थे। इन सदस्यों में उनके सबसे बड़े भाई 99 वर्षीय मोहम्मद मुत्थु मीरा लेब्बई मरईकर भी शामिल थे।

मिसाइल मैन' और 'जनता के राष्ट्रपति' के रूप में लोकप्रिय हुए पूर्व राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम का सोमवार शाम आईआईएम में एक व्याख्यान देने के दौरान गिरने के बाद निधन हो गया था।

डॉ. कलाम को शाम करीब साढ़े छह बजे व्याख्यान के दौरान गिरने के बाद नाजुक हालत में बेथनी अस्पताल के आईसीयू में भर्ती कराया गया और उसके दो घंटे से अधिक समय बाद उनके निधन की पुष्टि की गई। डॉ. कलाम अक्तूबर में 84 साल के होने वाले थे।


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