श्री कृष्ण जन्माष्टमी पर आराधना के लिए ध्यान रखे ये बाते
आज और कल दोनों दिन जन्माष्टमी का त्योहार मनाया जाएगा। देश भर में मंदिरों में सजावट और इसके लिए तैयारियां पूरी कर लीं गयी हैं। जन्माष्टमी की पूजा और व्रत का अपना ही एक अलग महत्व है। इस दिन भगवान कृष्ण की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व माना जाता है।
जन्माष्टमी पर भगवान कृष्ण की पूजा में किन वस्तुओं का उपयोग करना ही चाहिए, इसके विषय में ब्रह्मवैवर्तपुराण में इस प्रकार विवरण दिया गया है।
जन्माष्टमी की पूजा में इन वस्तुओं का विशेष रूप से ध्यान रखना चाहिए
भगवान कृष्ण की मूर्ति को स्थापित करने के लिए एक सुंदर आसन का प्रयोग करना चाहिए। आसन लाल, पीले या कैसरिया जैसे रंगों का होना चाहिए, जिस पर बेलबूटों से सजावट की हुई हो।
जिस पात्र में भगवान के चरणों को धोया जाता है, उसे पाद्य कहते है। भगवान कृष्ण के चरणों को धोने के लिए सोने,
चांदी या तांबे के किसी पात्र में शुद्ध पानी भरकर, उसमें फूलों की पंखुड़ियां डालना चाहिए।
पंचामृत भगवान कृष्ण की सबसे प्रिय वस्तुओं में से एक मानी जाती है। पंचामृत शहद, घी, दही, दूध और शकर- इन पांचों को मिलाकर तैयार करना चाहिए। फिर शुद्ध पात्र में उसका भोग भगवान को लगाएं।
पूजा में उपयोग में आने वाले दूर्वा, कुंकुम, चावल, अबीर, सुगंधित फूल और शुद्ध जल को अनुलेपन कहा जाता है। इन सबके साथ-साथ पूजा में चंदन और कस्तूरी का भी प्रयोग करना चाहिए।
आचमन के लिए प्रयोग में आने वाला जल आचमनीय कहलाता है। इसे सुगंधित वस्तुओं और फूलों के तैयार करना चाहिए।
भगवान कृष्ण के स्नान के लिए प्रयोग में आने वाली वस्तुओं को स्नानीय कहा जाता है। भगवान के स्नान के लिए आंवले का चूर्ण उपयोग में लेना चाहिए।
भगवान कृष्ण की पूजा में सुगंधित और ताजे फूलों का बहुत महत्व माना जाता है। इसलिए शुद्ध और ताजे फूलों का ही प्रयोग करना चाहिए।
भगवान को प्रसाद में चढ़ाई जाने वाली वस्तुओं को नैवेद्य कहा जाता है। जन्माष्टमी की पूजा के लिए बनाए जा रहें नैवेद्य में शकर, मिश्री, ताजी मिठाइयां, ताजे फल, लड्डू, खीर, गुड़, शहद, ताजा दही आदि जैसे अन्य मीठे पदार्थों को शामिल करना चाहिए।
विभिन्न पेड़ों के अच्छे गोंद तथा अन्य सुगंधित पदाथों से बनी धूप भगवान कृष्ण को बहुत प्रिय मानी जाती है। जन्माष्टमी की पूजा में शुद्धधूप का प्रयोग करना चाहिए।
पूजा में चांदी, तांबे या मिट्टी के बने दीए में घी या तेल डालकर भगवान की आरती अगरबत्ती की जगह इसी दीपक से करनी चाहिए।