पत्रकार, नेता और मंत्री जुत की नोक है- डाक्टर नीरज शर्मा

-सरकारी डाक्टर होते हुये भी करते है प्राइवेट प्रैक्टिश
-नही जाते है जिला अस्पताल, मरीज परेशान
-सरकारी डाक्टर नही कर सकता है प्राइवेट प्रैक्टिश -सीएमएस अमृता अग्रवाल
-फ़ास्ट इण्डिया न्यूज ब्यूरो

आजमगढ़। जिला महिला अस्पताल आजमगढ़ के चिकित्सक डॉक्टर नीरज शर्मा ने दी पत्रकार को धमकी कहां नेताओं मंत्रियों और पत्रकारों को जूते की नोक पर रखना उनकी पुरानी आदत है महिला अस्पताल में तैनाती के बाद भी जिला अस्पताल में न जाकर प्राइवेट प्रैक्टिश करने पर पत्रकार ने पूछा था सवाल

जहां एक तरफ प्रदेश सरकार द्वारा लोगों के स्वास्थ्य सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही हैं वहीं दूसरी तरफ जिला अस्पताल में चिकित्सक डॉक्टर नीरज शर्मा द्वारा सरकारी डॉक्टर होने के बावजूद हॉस्पिटल में समय ना देकर अपनी प्राइवेट प्रैक्टिस धड़ल्ले से चलाई जा रही है ऐसा नहीं है कि जिले में केवल एक चिकित्सक का हाल है क्या हाल है बल्कि और लोग भी ऐसा चोरी छिपे करते हैं लेकिन नीरज शर्मा ने तो तब हद कर दी जब अस्पताल में मरीज तड़प रहे थे और यह अस्पताल जाना तक उचित नही समझते ! और ना ही अस्पताल में मरीजों को देखना नतीजा यह आता है कि जिला महिला अस्पताल में आई माता पिता अपने बच्चों को लेकर घंटों खड़े रहते हैं और कोई इलाज न होने और डॉक्टर की उपस्थिति न होने के कारण वापस चले जाते हैं इस बाबत जब एक प्रेस प्रतिनिधि ने डॉक्टर नीरज शर्मा (बाल रोग विशेषज्ञ जिला अस्पताल )से उनके प्राइवेट क्लीनिक पर बात की तो उन्होंने कहा कि सरकारी वेतन केवल 80 हजार रूपये मिलते हैं बाहर में वह 8 लाख रुपए महीना कमा सकते है , इसलिए मेरी जहां इच्छा होगी वहां मरीज देखेंगे इसके लिए हमें कोई रोक नहीं सकता है।

डॉ0 नीरज शर्मा की ताकत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उन्होंने कैमरे पर भी यह पत्रकार को धमकी देते हुए कहा कि नेता मंत्री और पत्रकार को वह अपनी जूतों की नोक पर  रखते हैं।

जबकि जिला महिला अस्पताल की मुख्य चिकित्सा अधीक्षक अमिता अग्रवाल का कहना है कि यदि डॉक्टर नीरज शर्मा प्राइवेट में देखते हैं तो यह गलत है क्योकि ऐसा कोई नियम नहीं है कि वह सरकारी चिकित्सक होने के बाद प्राइवेट प्रैक्टिस करें।

अब सबसे बड़ा प्रश्न तो प्रशासनिक ब्यवस्था पर ही उठता है कि ऐसे डाक्टरों को जानते हुये भी कोई कठोर कार्यवाही नही करते है। जो सरकारी अस्पताल में बैठने के बाद जब जनता इन्हें जान जाती है तो यह अपने निजी आवास पर बुलाकर मरीजो को देखने लगते है। और जब इन्हें अपने आवास पर मरीजो को देखने से मोटी रकम की आय होने लगती है। तो लाजमी है पैसे के गरूर में यह डाक्टर सबको अपनी जुत की नोक तो समझेगे ही , लेकिन शायद यह न भूले कि कलम की ताकत जब चलती है तो पैसे धरे के धरे रह जाते है। और ये डाक्टर साहब तो शायद भुल ही गये कि जैसे आप अपनी कलम से मरीजो को दवा लिखते है ठीक उसी प्रकार यदि नेता मंत्री और पत्रकार अपनी कलम से लिखना शुरू कर दे तो आप शायद अस्पताल नही अपने क्लीनिक नही अपने घर के भीतर मरीजो को देखने लायक नही रह जायेगे। क्योकि पत्रकार ,नेता और मंत्री यह जानते है कि आपकी यह काली कमाई कहा से और कैसे आती है। मरीजो के खून चूसकर काली कमाई करने वाले ये डाक्टर भुल जाते है कि जो मरीज डाक्टर को भगवान समझकर उनके पास पहुचते है यदि वह उनके इस कारनामे के बारे में जान जायेगी तो वह उस दिन लोगों को शायद जवाब तक नही दे पायेगे।

अब देखना यह है कि सीएमएस अमृता अग्रवाल ने भी स्पष्ट कर दिया है कि कोई भी सरकारी डाक्टर अपने क्लीनिक पर नही देख सकता है।तो जब इनकी सारी वीडियो कैमरे में कैद हो गयी है तो क्या कार्यवाही होती है।


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