प्राइवेट स्कूल संचालको के लिये प्रेरणा के स्रोत है विजय शंकर ,जाने क्या है खासियत

सभी कर्मचारियों के बच्चों सहित अन्य गरीब,असहाय,व विलांगो को दी जाती है निशुल्क शिक्षा

विवेक सिंह

मऊ। आज के समय में जो आम जनता की एक धारणा बन गई है कि शिक्षा देने के नाम पर प्राइवेट स्कूल संचालक केवल पैसा कमाने का एक साधन बना लिया है। लेकिन ऐसा नहीं है इन्हीं स्कूल संचालकों में कुछ ऐसे भी स्कूल संचालक हैं जो आज भी गरीब असहाय व विकलांगों के लिए किसी भगवान से कम नहीं है । जी हां आइए हम बात करते हैं उत्तर प्रदेश के मऊ जिले के एक चर्चित व्यक्ति के बारे में जिन्होंने अपनी जीवन में बहुत ही कठिन परिश्रम करके एक ऐसे मुकाम को हासिल किया है जो मऊ जनपद सहित आसपास के अन्य जिलों में शिक्षा जगत में एक ख्याति प्राप्त किया है।

हम बात करते हैं मऊ जिले के सिकटिया ओवरब्रिज के पास स्थित लिटिल फ्लावर चिल्ड्रेन स्कूल के प्रबंधक विजय शंकर यादव की ,जी हां फास्ट इंडिया न्यूज के सम्पादक विवेक कुमार सिंह से एक विशेष भेट वार्ता में प्रबन्धक विजय शंकर यादव ने बताया कि मैंने शिक्षा जगत में उस समय शुरूआत किया जब मऊ जनपद में प्राइवेट स्कूल खोजने पर भी दिखाई नहीं देते थे मात्र ₹60 पर नौकरी व एलआईसी तथा कोचिंग का काम करके मैं छोटे छोटे बच्चों को पढ़ाने से शुरुआत किया और आज के समय में मेरे पास 5 सीबीएसई बोर्ड स्कूल 4 डिग्री कॉलेज है।यह बात कहते हुये विजय शंकर जी के आँखों से आंसू निकल पड़े ,आगे कहा कि हमने जीवन मे बहुत गरीबी देखा है, मैने डबल एम०ए० की शिक्षा बड़ी मेहनत से हासिल किया ।मेरे पास पढ़ने के लिए पैसे तक नही थे।पढाई जारी रखने के लिए अन्य लोगो के घरों तक काम करना पड़ता था।

जी हां आपने बिल्कुल सही सुना लेकिन इनकी शख्सियत यह है इन्होंने शिक्षा जगत में नाम तो कमाया लेकिन इनकी इस शिक्षा जगत में अलग ही पहचान है। आपको बता दें कि जहा स्कूल संचालक केवल स्कूल को पैसा कमाने साधन बना लिया है। वही इस विद्यालय प्रबन्धक ने बताया कि मेरे विद्यालय में जितने भी कर्मचारी हैं उनके बच्चों की शिक्षा दीक्षा निशुल्क दी जाती है। साथ ही हमारे स्कूल में जो विकलांग, असहाय, विधवा तथा गरीब के बच्चे हैं उनकी भी शिक्षा दीक्षा निशुल्क दी जाती है। वहीं कुछ ऐसे भी गरीब छात्र हैं जिनके मां बाप विद्यालय भेजने में असमर्थ हैं उनके बच्चों को जो इनकी विद्यालय में हॉस्टल में खाने पीने की जो सुविधा है उसमें निशुल्क व्यवस्था की गयी है।
आपको जानकार यह हैरानी होगी कि आज के वर्तमान समय में लिटिल फ्लावर स्कूल के बच्चे कई ऐसे उच्च शिक्षण संस्थानों में पढ़ाई कर नौकरी कर रहे हैं । जैसा कि आप सभी को मालूम है कि दिल्ली यूनिवर्सिटी का चुनाव काफी चर्चा का विषय रहता है और दिल्ली यूनिवर्सिटी के वर्तमान छात्रसंघ अध्यक्ष शक्ति सिंह भी इसी लिटिल फ्लावर चिल्ड्रेन स्कूल से अपनी पढ़ाई की शुरुआत किया था।

यही नहीं वर्तमान समय में मार्कशीट नाम से एक फिल्म रिलीज हो रही है। जिसके डायरेक्टर महेश भट्ट हैं और इस फिल्म के मुख्य अभिनेता राजीव मिश्रा पुत्र शिवाकांत मिश्रा घोसी मऊ के रहने वाले हैं जो इसी लिटिल फ्लावर चिल्ड्रेन स्कूल से अपनी पढ़ाई पूरी कर अब तक तीन फिल्मों में काम कर चुके हैं ।

राजीव मिश्रा ने फोन पर बताया कि हमारी यह फिल्म एजुकेशन सिस्टम में क्राइम पर आधारित है। मेरा मानना है कि इस फिल्म के रिलीज होने के बाद शिक्षा व्यवस्था में एक नई क्रांति की शुरुआत होगी। वही राजीव मिश्रा ने फोन पर ही बताया कि हमारे प्रेरणा के स्रोत लिटिल फ्लावर स्कूल के प्रबंधक महोदय हैं क्योंकि जब हम शुरू -शुरू में अभी छोटे थे और विद्यालय में पढ़ने आते थे तो प्रायः हमारे मैनेजर साहब यह कहा करते थे कि बेटा ऐसी शिक्षा हासिल करो कि मऊ सहित पूरे देश में तुमलोगो का नाम रोशन हो तब जाकर हमें खुशी होगी कि मैंने अपने विद्यार्थियों को एक अच्छी शिक्षा दिया है।

वार्तालाप के दौरान प्रबंधक ने बताया कि हमारे विद्यालय के एक छात्र वर्तमान में डीएम है जिनका नाम गौरव है तथा दूसरे छात्र इसरो में वैज्ञानिक हैं जिनका नाम नवीन त्रिपाठी है तथा एक छात्र रेलवे में डीआरएम है जिनका नाम अवधेश है तथा एक छात्र सत्यपाल यादव वर्तमान में बीएचयू में प्रोफेसर तथा एक छात्र फैजाबाद यूनिवर्सिटी में बीटेक में टॉप कर दिया है जिसका नाम नीरज पुत्र महेंद्र है।

वही एक महिला छात्रा का भी नाम बताया जो बीएचयू में केमिस्ट्री की टॉपर है ।आदि ऐसे सैकड़ो छात्र है जो अपने माँ बाप सहित हमारे स्कूल और मऊ जनपद का नाम रोशन किया है।

वर्तमान में इनके 5 सीबीएसई बोर्ड स्कूल और 4 डिग्री कालेज चल रहे है

जो हर वर्ष की भांति पिछले वर्ष भी पूरे जनपद में सीबीएसई बोर्ड के रिजल्ट में प्रथम स्थान पर रहा है। वही मऊ जिले में टॉप करने वाले हमारे स्कूल की तीन छात्र मिताली,सुरभी और शुभम सहाय को सीबीएसई बोर्ड ने प्रशस्ति पत्र भेजकर सम्मानित किया है ।

वही आगे बताया कि करीब 4 डिग्री कॉलेज है जो मऊ सहित आसपास जिलों में भी शिक्षा जगत में एक नई क्रांति के रूप में काम कर रहे हैं। वार्तालाप के दौरान ही देखने को मिला की विद्यालय में लड़कियों की शिक्षा के लिए अलग से आने-जाने के लिए बस की व्यवस्था थी तथा कक्षाएं भी अलग से चलाई जा रही थी। ताकि लड़कियां अपने शिक्षक से अपनी बातों को शिक्षण के दौरान आसानी से कह सके और उनके अंदर किसी तरह का हिचकिचाहट ना हो क्योंकि जब लड़के और लड़कियों की कक्षाएं एक साथ चलती है। तो कभी-कभी ऐसा एहसास होता है कि लड़कियां अपनी बातों को और अपनी समस्याओं को अपने शिक्षक से कहने में कक्षा में हिचकिचाती है। और उनकी प्रतिभा का पूर्ण रूप से विकास नहीं हो पाता है। जिसके लिये लड़कियों को अलग कक्षा के साथ साथ विद्यालय खुलने से लेकर छुट्टी के समय सबसे पहले विद्यालय में लड़कियों की एंट्री होती है और छुट्टी के दौरान भी सबसे पहले उनकी छुट्टी की जाती है। ताकि लड़कियों को कोई असुविधा ना हो। लड़कियों की सुरक्षा के लिए विद्यालय के प्रबंधक ने बताया कि कई बार ऐसी घटनाएं अखबारों और टीवी चैनलों के माध्यम से पता चला कि अन्य जिलों में विद्यालय के बाहर कई लड़कियों के साथ छेड़खानी होती है ।

मैंने उक्त वारदातों को संज्ञान में लेकर तत्काल प्रभाव से पुलिस अधीक्षक महोदय से मिलकर अपने विद्यालय के बाहर पुलिस की व्यवस्था करने की मांग किया और मेरी मांग को एसपी साहब ने स्वीकार करते हुए विद्यालय के बाहर डायल 100 की सुबह शाम गाड़िया लगा दिया है।

अब हमारे स्कूल की बच्चियों को अच्छी सुरक्षा मिलती है। कोई भी बाहरी अराजक तत्व इनके साथ छेड़खानी करने से पहले सौ बार सोचता है ।

जिले का यह पहला विद्यालय है जो विकलांग विधवा व गरीब असहाय के बच्चों को निशुल्क शिक्षा देने का काम कर रहे हैं इनके विद्यालय से ऐसे छात्र पूरे भारत में अपनी प्रतिभा का जलवा विखेर रहे हैं जो मऊ का ही नाम रोशन नहीं किया बल्कि पूरे देश का नाम रोशन कर रहे हैं ।

वही विद्यालय के कर्मचारी रामसमुझ ने सम्पादक विवेक सिंह को बताया कि साहब मेरे तीन बच्चे है और मेरी इतनी क्षमता नही है कि मैं इतने बड़े स्कूल में दाखिला करवा सकू लेकिन मैनेजर साहब की देन है मेरे तीनो बच्चे निशुल्क पढ़ रहे है।

वही स्कूल की दाई शिवकुमारी ने बताया कि मेरे दो बेटे है जो एक कक्षा 9 में पढ़ता है और दूसरा 12 में पढ़ता है मैनेजर साहब की कृपा है कि मुझे काम करने का वेतन तो मिलता ही साथ मे मेरे बच्चे भी निशुल्क पढ़ते है।
वही विजय शंकर यादव के बेटे मुरलीधर यादव ने बताया कि हम सभी पिता जी के मार्गदर्शन में पूरा प्रयास करते है कि हमारे स्कूल में पढ़ने वाले किसी भी छात्र -छात्राओं को कोई परेशानी न हो खासकर गरीब बच्चों को ज्यादा ध्यान दिया जाता है।क्योंकि अक्सर गरीब के बच्चे प्रतिभाशाली होते हुए भी पैसे के अभाव में अच्छी शिक्षा हासिल नही कर पाते है। लेकिन आगे चलकर वही नाम रोशन करते है।


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