मऊ: राजवित्त व तेरहवे वित्त के धन का ADO पंचायत व सेक्रेटरी ने किया घोटाला

मामला मऊ के परदहां ब्लॉक का है , जहा नियम और कानून को ताख पर रखकर होता है ग्रामनिधि के धन का भुगतान

कुछ भ्रस्ट ग्राम विकास अधिकारी व एडीओ पंचायत अधिकारी के चलते सरकार की योजनाये तोड़ रही दम

फ़ास्ट इण्डिया न्यूज ब्यूरो

मऊ(यूपी) परदहां ब्लॉक के ग्राम विकास अधिकारी सदाशिव सिंह द्वारा सत्र 2015- 2016 में देखे जा रहे ग्राम पंचायतो के विकास संबंधी राजवित्त और तेरहवा वित्त आयोग के मद में ग्राम पंचायत रेकवारेडीह में 629012 रुपये, मानपुर में 528326 रुपये, पिपरीडीह में 196236 रूपये, पिजडा में 711508 रुपये , नियामतपुर बगली में 261912 रुपये, भार में 182644 रुपये तथा हरदसपुर में 629012 रूपये आदि ग्राम पंचायतो में सरकार द्वारा पैसे आये थे लेकिन इन पैसो को कहा और कैसे खर्च किया गया है इसका कोई भी लेखा जोखा कर्मचारी देने में अस्मर्थ है। इनके क्रियाकलापों से साफ़ जाहिर है कि इन पैसो का बंदरबाट हुआ है।

इनके ऊपर ग्रामवासी मनोज, अजय, विनोद, संजय , राजू , विपिन , सरोज, खर्चू , राजेश , सतीश आदि ने आरोप लगाया कि 2015 में जब ग्राम पंचायत का चुनाव चल रहा था उस दौरान ग्राम पंचायतो रेकवारेडीह , मानपुर, पिपरीमें राजवित्त, तेरहवा वित्त अंतरगत ग्राम पंचायत में जितनी धनराशि आयी थी । उन सारे पैसो का यह ग्राम विकास अधिकारी फर्जी तरीके से पैसे एकाउंट से उतार दिये।

क्योकि चुनाव के दौरान आचार्य संहिता लग जाने के कारण वस ग्राम प्रधान को इस धन का प्रयोग करने का समय नही बचने के कारण आनन- फानन में एडीओ पंचायत और सेक्रेटरी मिल धन आहरित कर गये। क्योकि आचार्य संहिता लगते ही ग्राम प्रधानो के वित्तीय पावर पर रोक लगा दिया गया था। जिसका फायदा यह ग्राम विकास अधिकारियो ने एडीओ पंचायत से मिलकर बड़ी सरलता से इस काम करने में सफल हो गये। और हुआ यूं कि ग्राम पंचायतो में उक्त मद से आये धनो का वित्तीय पावर इनके पास होने का भरपूर फायदा उठाते हुये। फर्जी खर्च दिखाकर आये धनो को उतार लिया।

भ्रष्टाचार के आरोप में एकबार हो चुका है सस्पेंड

यह ग्रामविकास अधिकारी विगत माह भ्रष्टाचार के आरोप में एक बार इसी ब्लॉक से निलबित भी कर दिया गया था। लेकिन पुनः इसी ब्लॉक में कैसे इन्हें नियुक्त कर दिया गया यह एक प्रश्न चिन्ह बना हुआ है। क्योकि शासनादेश में स्पष्ट है कि जब कोई कर्मचारी किसी ब्लॉक से भ्रस्टाचार के आरोप में निलम्बित कर दिया जाता है तो बहाली के उपरान्त उसे पूर्व ब्लॉक में नियुक्ति नही हो सकती है । ऐसे ही सेक्रेट्रियो के चलते गावो के विकास का जो सपना सरकार देखती वह धरातल पर आने से पहले ही फ्लॉफ् हो जाती है। क्योकि ग्राम पंचायत स्तर पर जितनी योजनाये सरकार द्वारा चलायी जाती है उसमे अधिकतम योजनाओ का संचालन इन्ही ग्राम विकास अधिकारियों द्वारा किया जाता है।

अब देखना यह कि ऐसे ग्राम विकास अधिकारी व ग्राम प्रधान व एडीओ पंचायत पर कब तक कार्यवाही होती है। वही जब इस भ्रस्ट ग्राम विकास अधिकारी व प्रधान के बारे में फ़ास्ट इण्डिया न्यूज ने पूर्व में खबर प्रकाशित किया तो अधिकारीगण इसका संज्ञान लेकर कार्यवाही भी करना प्रारम्भ किया लेकिन निवर्तमान अधिकारी भी उक्त ग्रामविकास अधिकारी व एडीओ पंचायत के झांसे का शिकार हो गये और मामला ठंडा बस्ते में पड़ गया।


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